आतिथेय सत्कार जहां का, दुनिया में जाना जाता है ,
नतमस्तक हों गजराज यहाँ, वह क्षण पहचाना जाता है |
तुम भूल गए इतिहास अभी, अतिथि देवो को भूल गए,
पैसों की इस चका- चौंध में, देश को कालिख पोत गए ||
मैं इसका जिम्मेदार नहीं, अब ऎसी आवाज लगाईं है , इसलिए ये धूनी रमाई है ||
मेहमानों के स्वागत में, जहां पुष्प आरती जलती है ,
उन मेहमानों के बिस्तर पर, श्वान पुत्र अठखेल गए |
जल प्लवन हुआ उसके घर में, और उसमें मच्छर पनप गए ,
जिनके पूर्वज के बाणों पर,सागर के छक्के छूट गए ||
इस पर अतीत शर्मिन्दा है, जो वर्तमान की कमाई है, इसलिए ये धूनी रमाई है ||
तुम कहते हो शर्मिन्दा हूँ, पर तुमको शर्म नहीं आयी,
गैंडे के समतुल्य जिसे, गुदगुदी कभी भी नहीं आयी |
वह राम मेरा शर्मिन्दा है, जिसने बांधा पुल सागर पर,
वह कृष्ण चुराता नजरें है, जिसने दी सर पर छत पर्वत ||
अब संशय में अतीत आया, यह कैसी संतति पाई है, इसलिए ये धूनी रमाई है ||
इन नेताओं की चिकनी चुपड़ी, बातों में हम सब भूल गए,
माँ को कर हम दरकिनार, नोटों-पैसों पर झूल गए |
हम लिप्त हुए इनमें ऐसे, भारत की इज्जत भूल गए,
मानव मूल्यों की बात है क्या, हम अपनी सीरत भूल गए ||
बचे देश इस लिप्सा से, माँ ने आवाज लगाईं है, इसलिए ये धूनी रमाई है ||
नतमस्तक हों गजराज यहाँ, वह क्षण पहचाना जाता है |
तुम भूल गए इतिहास अभी, अतिथि देवो को भूल गए,
पैसों की इस चका- चौंध में, देश को कालिख पोत गए ||
मैं इसका जिम्मेदार नहीं, अब ऎसी आवाज लगाईं है , इसलिए ये धूनी रमाई है ||
मेहमानों के स्वागत में, जहां पुष्प आरती जलती है ,
उन मेहमानों के बिस्तर पर, श्वान पुत्र अठखेल गए |
जल प्लवन हुआ उसके घर में, और उसमें मच्छर पनप गए ,
जिनके पूर्वज के बाणों पर,सागर के छक्के छूट गए ||
इस पर अतीत शर्मिन्दा है, जो वर्तमान की कमाई है, इसलिए ये धूनी रमाई है ||
तुम कहते हो शर्मिन्दा हूँ, पर तुमको शर्म नहीं आयी,
गैंडे के समतुल्य जिसे, गुदगुदी कभी भी नहीं आयी |
वह राम मेरा शर्मिन्दा है, जिसने बांधा पुल सागर पर,
वह कृष्ण चुराता नजरें है, जिसने दी सर पर छत पर्वत ||
अब संशय में अतीत आया, यह कैसी संतति पाई है, इसलिए ये धूनी रमाई है ||
इन नेताओं की चिकनी चुपड़ी, बातों में हम सब भूल गए,
माँ को कर हम दरकिनार, नोटों-पैसों पर झूल गए |
हम लिप्त हुए इनमें ऐसे, भारत की इज्जत भूल गए,
मानव मूल्यों की बात है क्या, हम अपनी सीरत भूल गए ||
बचे देश इस लिप्सा से, माँ ने आवाज लगाईं है, इसलिए ये धूनी रमाई है ||
Wah Pathak ji kya baat hai. Aaap to kavi ban gaye.
ReplyDeleteAdbhut! Main aapke peeda samajjh sakata hoon.
ReplyDelete--Nitin
Good one Awadhesh !!!
ReplyDeletebahut khoob!!!! aap ne to CWG ki dhooni rama di!!
ReplyDeletePathak ji kya baat hai... tum to aaj kal likhne bhi lage ho..... good keep going...
ReplyDelete